Tuesday 17 April, 2007

बन जाओ प्रेम का झरना...

जीवन एक पल है,
बीतने पर कल है।
सुबह चली गयी तो फिर न आएगी,
हर पल तुम्हें ललचाएगी।

दिन बीतने के पहले,
काम कर लो रुपहले।
वरना गुम हो जाओगे,
किसी की पहचान में न आओगे।

रहो तत्पर हमेशा सेवा को,
तैयार और उधार तपस्या को।
कर्म कर जाओ प्रेम से,
मत लगाव रखो देह से।
जलकर भस्म हो जाएगी,
किसी को दिखने में न आएगी।
रह जाएगा बस नाम,
तुम्हारे द्वारा किए गए काम।
करो जीवन को पूर्ण साकार,
मन को स्थिर करके हो जाओ निराकार।
प्रभु से हो जाएगा साक्षात्कार,
उसमें जो मिलेगा सत्कार,
वही तो बिल्कुल सच्चा है,
जीवन सुखी और अच्छा है।
रात को आने न दो,
प्रकाश को जाने न दो।
श्रद्धा की ज्योति जलाए रखो,
प्रेम सदभावना बनाए रखो।
बाक़ी सभी तो यही रहता है,
साथ तो बस प्रेम बहता है।
इसलिए बन जाओ प्रेम का झरना,
कीचड़ बन कर रह जाओगे वरना।
अभी भी समय है जाग जाओ,
भोर के छोर पर भी उठ जाओ।
वरना दिन बीत जाएगा,
जीवन पहेली बन जाएगा।
रात अँधेरी काली होती है,
जीवन को आँसूओं से भिगोती है।
इसलिए तो कहते हैं,
प्रभु को हृदय में रख कर रहते हैं।
सोच लो समझ लो,
धागे तो तुम्हारे पास हैं,
ताना बाना बुन लो।

4 comments:

sudeep mahatmaji said...

sachmuch sevadharm se badhkar koi dharm nahin hai.

Anonymous said...

seva hi param dharm hai. bahut thik baat hai.
-deepak sharma

Anonymous said...

सेवाधर्म ही सच्चा धर्म है।
-संजय शर्मा

Anonymous said...

सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है।
- शिवांगी