Tuesday 8 May, 2007

Come On

Come on make a new earth,
Full of humanity birth.
Today humanity is polluted,
Everywhere corruption is floated.
If you want right,
Then do your duties bright.
Rights are its results,
But without duties.
These are insults,
So be dutiful.
And look beautiful,
If you want attraction.
Then spread air of affection,
To remove the hatred pollution;
Pour love purification.
Blood will be full of love,
Survive will be a great job.
If you want calm and peace,
Make relationship like uncle and niece.
Never make others,
Think all are brothers.
Why we are fighting,
Why not our hearts lighting.
Humanity is everywhere,
Only need is of share.

सेवा ही सच्चा धर्म है…

सेवा ही सच्चा धर्म है, इससे बढ़कर कोई भी धर्म और पूजा नहीं है। किसी की सेवा करना परमात्मा की सेवा करने के समान है। निस्वार्थ सेवा करना ही धर्म का आचरण करना है। जो धर्म का आचरण करते हैं वे अधर्म से डरते हैं और कोई भी ग़लत काम नहीं करते हैं। वे स्वभाव के अधीन होते से किसी का दुख मिटता है तो अपना भी दुख मिटता है और मन को चैन मिलता है। बिन सेवा भाव के जीवन अधूरा है। अपने लिए तो सभी काम करते हैं, बड़ी बात है कि दूसरों की भलाई के लिए कुछ किया जाए। ईसामसीह ने कहा था ' अगर तू सुखी रहना चाहता है तो अपने पड़ौसी को सुखी कर।' यदि हम अपने सुख की आशा छोड़कर दूसरों की सेवा में लग जाएँगे तो सच्चे सुख की प्राप्ति होगी, शांति रहेगी। प्रकृति का नियम है कि जो दोगे वही पाओगे, जो बीज बो ओगे वही काटोगे, यदि हम किसी ज़रुरतमंद की मदद करेंगे तो कोई दूसरा हमारी मदद के लिए कहीं तैयार खड़ा होगा।
जीवन की समस्त प्रवृत्तियों का आधार सबका हित अर्थात परमार्थपरायणता होना चाहिए, न कि स्वार्थपरायणता। दूसरों की खुशी में ही हमारी खुशी छिपी है। सबका सुख, सबका कल्याण हमारा जीवन दर्शन होना चाहिए, इसी से हमारा तथा समाज का कल्याण होगा तो आओ सेवा को जीवन का उद्देश्य बनायें।
- मुकेशबाला शर्मा