Tuesday 19 June, 2007

मोटापा

This article is written by Vaidyaji Shri Radheshyam Kaushik B.A.M.S. M.I.M.S. (Haridwar). He is an experienced & learned person (VAIDYAJI) of Ayurveda in Titron, distt. Saharanpur,U.P.( His Ph.No.- 098 37855941)


आज के मशीनी युग में मोटापा एक्क आम बीमारी के रुप में हमारे सामने आ रही है। यह एक पोषण और पच-अपच संबंधी विकार है।इसमें आम तौर पर चर्बी जम जाने के कारण शरीर का भार उसके वास्तविक भार से अधिक हो जाता है। शरीर जड़रुप होने लगता है, कोई कार्य करने की क्षमता भी समाप्त होने लगती है। इनमें वसावर्धक अहार करने वाले, पहले भोजन के न पचने पर भोजन करने वाले, व्यायाम न करने वाले और सदा दिन में सोने वाले व्यक्तियों में धातु परिपाक न होने पर आमाशय में ही और अधिक मधुर रस शरीर में फैल कर अति स्नेह (घी-चिकनई) के कारण मेद को (मोटापे को) बढ़ाता है। यही स्थूलता को बढ़ाता है। मोटापा बढ़ने के लिए उत्तरदायी रहन-सहन की निम्न बातें हैं-
१. शारीरिक व्यायाम के अभाव के साथ-साथ ज़रुरत से ज़्याद भोजन करना।
२. शराब, धूम्रपन, चाय, कॉफी, पान-तंबाकू आदि क सेवन।
३. एक स्थान पर बैठकर काम करना।
४. मोतापा बढ़ने क कारण अनुवांशिक भी देखा गया है।
५. अन्तःस्रावी ग्रंथियों के असंतुलन से भी मोतापा एकाएक बढ़ने लगता है।
उपचार-
- ठंडा कटिस्नान दिन में दोबार १५ से २० मिनट तक।
- सप्तह में एक मालिश एवं भप-स्नान।
- शुरु में प्रतिदिन त्रिफला क्वाथ का एनिमा और बाद में सप्ताह में दो बार गर्म पानी का एनिमा।
- केवल नींबू पानी पर रहकर एक य दो दिन सप्ताह में किया जा सकता है।
- नियमित व्यायाम जैसे ५ किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से सैर करना, शरीर को गर्म करने वाले साधारण व्यायाम करना।
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औषधि-

- आरोग्यवर्धनि वटी २-२ गोली सुबह-सायं ताजे पानी से लें।
- अश्वगंधारिष्ट तीन-तीन चम्मच बरबर जल मिलाकर खाना खाने के बाद दोनों वक्त लें।
- घी-चिकनाई बिना भोजन लें और हो सके तो गर्म पानी का सेवन करें।
- शिलाजित, गुग्गल, गोमूत्र, त्रिफला, लोहभस्म, रसोत, मधु, जौ, मूँग, श्यामक-धान्य आदि मेदनाशक लेना चाहिए।